किताब Dhruvin Mavani द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें किताब किताब Dhruvin Mavani द्वारा हिंदी कविता 678 2.8k दुनिया सिर्फ कहती नही जनाब ,वो अक्सर कहती रहती है यहाँ लकड़े कहाँ ;सिर्फ़ लड़कियाँ ही तो सहती रहती है ...हम तुमसे अनजान थे अब तो वो समा ही बेहतर लगता है ,तेरा मुझे जानकर भी अनजान बनना मुझे ...और पढ़ेखटकता है ...ए वक्त तू भी क्या खेल खेलता है हर बार मिलाकर हमें बिछड़ना सिखाता है कुछ लम्हे सुकून के देता तो है मगरफिर आँसू की बहार भी क्या कम देता है ! ए वक्त तू भी क्या खेल खेलता है ...हर पल मैं शिकायत वक़्त से यही करता हूँ कि बिता हुआ आज ,कल फिर क्यूँ नही आता ...जी लो इन आखिरी लम्हों को आखिरी बार फिर कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें किताब अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Dhruvin Mavani फॉलो