ग़ज़ल, शेर - 4 Kota Rajdeep द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें ग़ज़ल, शेर - 4 gazal Sher - 4 book and story is written by Kota Rajdeep in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. gazal Sher - 4 is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. ग़ज़ल, शेर - 4 Kota Rajdeep द्वारा हिंदी कविता 1.6k 4.9k अब मुसलसल यादों में आता ही नहींलगता है मुझसे बेवफ़ाई मोड़ ली है।___Rajdeep Kotaरोना धो ना सब सहना सीख गएहम इश्क़ करना किसिसे सीख गए। मेरे दिल ए नाकाम तुम फ़िक्र ने करियोंहम इश्क़ का दूजा हुसुल सीख गए।__Rajdeep ...और पढ़ेगांव तिरी गलियों का कोई हिसाब ही नहीं दोस्त।___Rajdeep Kotaवक्त आहिस्ता आहिस्ता हमें कई बातें सीखा जाता हैं।बिछोह नहीं, हमें उसका सबब आजकल सताता है।___Rajdeep Kotaमुहब्बत मैं मंज़िल नहीं मिलती हर किसीको,कुछ बीच में ही दम तोड़ देते हैं।___Rajdeep Kotaतुम्हें याद कर के ख़ुश तो सहीं पर बाद में दिनों परेशान रहते हैं।___Rajdeep Kotaमेरी बस्ती मैं हर रोज़ कोई मरता है।किसिको देह से हाथ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें ग़ज़ल, शेर - 4 ग़ज़ल, शेर - उपन्यास Kota Rajdeep द्वारा हिंदी कविता 5.6k 23.2k Free Novels by Kota Rajdeep अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी