बिराज बहू - 11 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

बिराज बहू - 11

Sarat Chandra Chattopadhyay मातृभारती सत्यापित द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां

भोर होते-होते आकाश में घने मेघ छा गये थे। टप्-टप् पानी बरसने लगा था। बीती रात खुले हुए दरवाजे की चौखट पर सिर रखकर नीलाम्बर सो गया था। अचानक उसके कानों में आवाज आई- “बहू माँ!” नीलाम्बर बड़बड़ाकर जाग गया। ...और पढ़े


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