(१) जब रक्षक भक्षक बन जाए इस कविता में सुरक्षा बलों की भूमिका पर सवाल उठाया गया है। कवि कहता है कि सुरक्षा के नाम पर जब कोई अनुचित कार्य होता है, तब लोकतंत्र की सच्चाई को चुनौती मिलती है। रक्षक, जो जनता का रक्षक होता है, जब वह भक्षक बन जाता है, तब समाज में अव्यवस्था और अन्याय बढ़ता है। कवि यह भी दर्शाता है कि समाज को सुरक्षा बलों पर भरोसा होता है, लेकिन जब वे अपने दायित्व को भूल जाते हैं, तब स्थिति भयावह हो जाती है। (२) बहुत तेज तेरा एंटीना इस कविता में एक कार्यालय के एंटीना की चर्चा की गई है, जो हर छोटी-बड़ी बातों की जानकारी रखता है। एंटीना मालिक के मन की बातों को जानता है और उसे हर गतिविधि की खबर देता है। इसके चलते कार्यालय का काम सुचारू रूप से चलता है, लेकिन जब मालिक ऑफिस में नहीं होते, तब कार्य अधूरे रह जाते हैं। कवि एंटीना की प्रभावशीलता की सराहना करता है और उसे कार्यालय का अभिन्न हिस्सा मानता है। (३) देशभक्त इस कविता में कवि यह सवाल करता है कि असली देशभक्त कौन है। वह बताता है कि विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग मिलकर रहते हैं, लेकिन उनका असली प्रेम मदिरा के प्रति है। ये लोग सामाजिक संघर्षों में नहीं पड़ते, बल्कि मदिरा के साथ आनंदित रहते हैं। कवि यह दर्शाता है कि ये लोग भले ही शराब के कारण अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन वे शांति से रहते हैं और देशभक्ति का एक अनोखा रूप पेश करते हैं। जब रक्षक भक्षक बन जाएं Ajay Amitabh Suman द्वारा हिंदी कविता 566 2.5k Downloads 19.8k Views Writen by Ajay Amitabh Suman Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण (१) जब रक्षक भक्षक बन जाए तुम्हें चाहिए क्या आजादी , सबपे रोब जमाने की , यदि कोई तुझपे तन जाए , तो क्या बन्दुक चलाने की ? ये शोर शराबा कैसा है ,क्या प्रस्तुति अभिव्यक्ति की ? या अवचेतन में चाह सुप्त है , संपुजन अति शक्ति की . लोकतंत्र ने माना तुझको , कितने हीं अधिकार दिए , तुम यदा कदा करते मनमानी , सब हमने स्वीकार किए . हाँ माना की लोकतंत्र की , तुमपे है प्राचीर टिकी , तेरे चौड़े सीने पे हीं तो , भारत की दीवार टिकी . हाँ ये ज्ञात भी हमको है , More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी