इस कहानी में, एक महिला (मिसेज माथुर) अपनी परेशानियों के बारे में चर्चा कर रही हैं, जिसमें वे अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर चिंतित हैं। वे यह मानती हैं कि एक लड़की के घर रहना तब तक ठीक है जब तक कोई अन्य विकल्प न हो, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी विचार किया कि अगर लड़के भी हैं, तो यह स्थिति सही नहीं है। एक अन्य पात्र महिला को सलाह देती है कि ओल्ड एज होम में जाने का विचार भी सही नहीं है, क्योंकि इससे स्थिति और भी खराब हो जाएगी। वे कहती हैं कि यदि वे घर से बाहर जाएंगी, तो बच्चों के साथ संबंध में दरार आ जाएगी और जीवन के अंतिम वर्ष नरक समान हो जाएंगे। कहानी के अंत में, सलाह देने वाली महिला कहती है कि हमें बच्चों को उनकी ज़िंदगी जीने देना चाहिए और हमें अपने हिस्से की खुशियों को समझना चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें उनके फैसलों में दखल देना है, बल्कि हमें अपनी खुशियों और स्वतंत्रता का ख्याल रखना चाहिए। दीवारें तो साथ हैं - 3 - अंतिम भाग Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 4.3k 2.6k Downloads 6.2k Views Writen by Pradeep Shrivastava Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ‘देखो अगर तुम्हारी बात मान लें कि चलो लड़की के घर खाने पीने रहने में कोई संकोच हिचक नहीं करनी चाहिए। आखिर वह भी अपनी ही संतान है। मेरी समझ में लड़की की मदद तभी लेनी चाहिए जब कोई और रास्ता बचा ही न हो। सिर्फ़ लड़की ही हो। लड़के हों ही नहीं। लड़कों के रहते लड़की-दामाद के यहां रहना मेरी नजर में बहुत गलत है। फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि जिस तरह हमें बुरा लगता है कि लड़के ससुरालियों की सेवा में लगे रहते हैं। वैसे ही यदि हम लड़की के यहां जाकर रहेंगे तो क्या उसके घर वालों को बुरा नहीं लगेगा। क्या दामाद के मां-बाप अपने बेटे को ससुरालियों का पिछलग्गू नहीं कहेंगे जैसे हम कह रहे हैं।’ Novels दीवारें तो साथ हैं पति को घर से गए कई घंटे हो गए थे। अब बीतता एक-एक क्षण मिसेज माथुर को अखरने लगा था। वैसे भी लंबे समय तक ऊहापोह की स्थिति में रहने के बाद बड़ी मुश्किल से... More Likes This ज़िंदगी की खोज - 1 द्वारा Neha kariyaal अधूरा इश्क़ एक और गुनाह - 1 द्वारा archana सुकून - भाग 1 द्वारा Sunita आरव और सूरज द्वारा Rohan Beniwal विक्रम और बेताल - 1 द्वारा Vedant Kana Middle Class Boy द्वारा Bikash parajuli तहम्मुल-ए-इश्क - 4 द्वारा M choudhary अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी