कहानी "बिराज बहू" में नीलाम्बर और बिराज की कठिनाइयों को दर्शाया गया है। नीलाम्बर कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और अपनी पत्नी बिराज के अपमान को सहन नहीं कर पा रहा है। बिराज को यह बात बहुत चुभ रही है कि नीलाम्बर कर्ज चुकाने में असमर्थ है और इसके कारण वह अपमानित हो रहा है। बिराज नीलाम्बर से कहती है कि उसे कर्ज से मुक्त करे, अन्यथा वह आत्महत्या करने की धमकी देती है। बिराज का दुःख और चिंता उसके पति की स्थिति को लेकर है, और वह चाहती है कि नीलाम्बर कर्ज न ले। वह अपने पति के लिए दुखी है और यह सोचती है कि उनके परिवार की स्थिति और भी खराब हो रही है, जबकि पूंटी की पढ़ाई का खर्च भी उन्हें उठाना है। नीलाम्बर की स्थिति और भी जटिल हो जाती है जब बिराज कहती है कि उसने पूंटी को राजकुमारी की तरह पाला, लेकिन अब उनके पास पैसे की कमी है। अंत में, बिराज अपने पति की उदासी को देखकर बहुत दुखी होती है और उससे अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त करती है। कहानी में प्रेम, कर्तव्य और सामाजिक चुनौतियों का संघर्ष प्रमुख है। बिराज बहू - 4 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 35 10k Downloads 21.9k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण छ: माह बीत गये। पूंटी की शादी के समय ही छोटा भाई अपना हिस्सा लेकर अलग हो गया था। नीलाम्बर कर्ज आदि लेकर बहनोई की पढ़ाई व अपना घर का खर्च चलाता रहा। कर्ज का बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया। हाँ, बाप-दादों की जमीन वह नहीं बेच सका। तीसरे प्रहर भालानाथ मुकर्जी को लेकर जली-कटी सुना गए थे। बिराज ने सब सुन लिया था। नीलाम्बर के भीतर आते ही चुपचाप उसके सामने खड़ी हो गई। नीलाम्बर धबरा गया। हालांकि वह क्रोध व अपमान से धुंआ-धुंआ हा रही थी, पर उसने अपने को संयत करके कहा- “यहाँ बैठो!” नीलाम्बर पलंग पर बैठ गया। बिराज उसके पायताने बैठ गई, बोली- “कर्ज चुकाकर मुझे मुक्त करो, वरना तुम्हारे चरण छूकर मैं सौगन्ध खा लूंगी।” Novels बिराज बहू हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उस... More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी