सबरीना का जीवन एक दुखद कहानी है, जिसमें उसके विद्रोही पिता जेल में मर जाते हैं। इस घटना के बाद सबरीना के मन में गुस्सा, नफरत और कुंठा भर जाती है। वह बदला लेना चाहती है, लेकिन यह नहीं जानती कि किससे। उसके मन में लगातार सपने आते हैं कि उसकी मां ने उन्हें उनके असली पिता का पता बता दिया है, लेकिन यह सब केवल सपने हैं और वास्तविकता भयावह है। सबरीना अपने पिता को लेकर अनेक प्रश्न करती है। वह सोचती है कि कैसे उनके पिता ने इतने सालों तक इतना बड़ा दुख सहा और अपनी बेटियों की परवाह की, जबकि वे उनके असली पिता नहीं थे। वह अपने पिता से पूछती है कि उन्होंने अपनी मां से बदला क्यों नहीं लिया और क्यों वे अपनी स्थिति को दुनिया के सामने नहीं लाए। जब सबरीना अपने पिता के सामने अपनी भावनाएं व्यक्त करती है, तो उनके पिता उसे बताते हैं कि वे फौज में हैं और उनकी मां एक कलाकार थी। उन्होंने अपनी मां को दोषी मानते हुए कहा कि उनके बीच की दूरी ने एक तीसरे व्यक्ति को उनके रिश्ते में प्रवेश करने का मौका दिया। उनके पिता का मानना है कि संदेह और नफरत ने उन्हें और उनकी मां को अंदर तक चोट पहुंचाई है। सबरीना अपने पिता के जवाब को झूठ मानते हुए चिल्लाती है, यह कहते हुए कि उनके पिता असल में गुस्से में हैं लेकिन उसे दिखाना नहीं चाहते। कहानी में सबरीना अपने द्वंद्व को समझने के लिए सुशांत से सलाह मांगती है, लेकिन सुशांत के पास शब्दों की कमी होती है। इस तरह कहानी सबरीना के गहरे भावनात्मक संघर्ष और उसके परिवार के जटिल संबंधों की पड़ताल करती है। सबरीना - 10 Dr Shushil Upadhyay द्वारा हिंदी महिला विशेष 6 2.2k Downloads 5.7k Views Writen by Dr Shushil Upadhyay Category महिला विशेष पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ‘उस पल मेरे लिए दुनिया की सारी नैतिकता, सारे मूल्य और इंसानियत, सब कुछ खत्म हो गया। मेरे भीतर गुस्सा, नफरत और कुंठा भर गई। मैं बदला लेना चाहती थी। पर, किससे बदला लूं, पता ही नहीं था। जिंदगी बेहद बोझिल हो गई। हर रात सपने दिखते कि मेरी मां ने हम तीनों को उस आदमी का पता बता दिया जो हमारा असली पिता है। अगली बार नया सपना दिखता कि हम तीनों बहनों का डीएनए हमारे पिता से मैच हो गया और पुरानी रिपोर्ट गलत थी। लेकिन, सपने कभी यथार्थ में नहीं बदल पाए, जो सच था, वो भयावह रूप में सामने था। अब उसी के साथ जीना था या पलायन करना था।’ Novels सबरीना होटल टाशकेंट के बाहर चारों तरफ बर्फ फैली हुई थी। सामने के पार्क में मरियल धूप का एक टुकड़ा बर्फ से लड़ने की कोशिश कर रहा था। सुशांत अभी ऊंघ रहा था। तय न... More Likes This चंद्रवंशी - 1 - अंक – 1.1 द्वारा yuvrajsinh Jadav विभामा - 1 द्वारा Vibhama एक लड़की सबके साथ वो सब करती - 1 द्वारा Rakesh संत श्री साईं बाबा - अध्याय 4 द्वारा ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙ फ्लोरेंस नाइटिंगेल - 2 द्वारा Tapasya Singh गर्भ-संस्कार - भाग 1 द्वारा Renu तस्वीर - भाग - 1 द्वारा Ratna Pandey अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी