"बिराज बहू" कहानी शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई है, जिसमें हुगली जिले के सप्तग्राम गांव के दो भाई नीलाम्बर और पीताम्बर का परिचय दिया गया है। नीलाम्बर एक मजबूत और फुर्तीले व्यक्ति हैं, जो मुर्दे जलाने और कीर्तन करने में माहिर हैं, जबकि उसका भाई पीताम्बर कमजोर और समझदार है, जो अदालत में काम करता है। एक सुबह, नीलाम्बर अपनी बहन हरिमती को रोते हुए पाता है, जो भाभी बिराज द्वारा चुटकी काटने और कानी कहे जाने से upset है। नीलाम्बर हरिमती की शिकायत सुनने के लिए अपने घर में भाभी को बुलाता है। बिराज, जो कि अपनी शादी के बाद लंबे समय से निःसंतान हैं, हरिमती पर आरोप लगाती हैं कि वह सुबह का कोई काम नहीं करती। कहानी में भाई-बहन के बीच की बातचीत और उनके अनुभवों को दर्शाया गया है, जिसमें बिराज की चिढ़ के कारण परिवार में तनाव और हास्य दोनों का अनुभव होता है। कहानी के अंत में, नीलाम्बर और हरिमती बगीचे की ओर निकलते हैं, जहाँ वे आम के पेड़ देखने की योजना बनाते हैं। यह कहानी पारिवारिक संबंधों, महिलाओं की स्थिति और ग्रामीण जीवन की चुनौतियों को उजागर करती है। बिराज बहू - 1 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 74 28.9k Downloads 42.6k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उसका कद लम्बा, बदन गोरा, बहुत ही चुस्त, फुर्तीला तथा ताकतवर था। दूसरों के उपकार के मामले में उसकी ख्याति बहुत थी तो गंवारपन में भी वह गाँव-भर में बदनाम था। मगर उसका छोटा भाई पीताम्बर उसके विपरीत था। वह दुर्बल तथा नाटे कद का था। शाम के बाद किसी के मरने का समाचार सुनकर उसका शरीर अजीब-सा हो जाता था। वह अपने भाई जैसा मूर्ख ही नहीं था तथा मूर्खता की कोई बात भी उसमें नहीं थी। सवेरे ही वह भोजन करके अपना बस्ता लेकर अदालत चला जाता था। पश्चिमी तरफ एक आम के पेड़ के नीचे बैठकर वह दिनभर अर्जियां लिखा करता था। वह जो कुछ भी कमाता था, उसे घर आकर सन्दूक में बंद कर देता था। रात को सारे दरवाजे-खिड़कियां बन्द कर और उनकी कई बार जाँच करने के बाद वह सोता था। Novels बिराज बहू हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उस... More Likes This रौशन राहें - भाग 1 द्वारा Lokesh Dangi अहम की कैद - भाग 1 द्वारा simran bhargav भूलभुलैया का सच द्वारा Lokesh Dangi बदलाव ज़रूरी है भाग -1 द्वारा Pallavi Saxena आशा की किरण - भाग 1 द्वारा Lokesh Dangi मंजिले - भाग 12 द्वारा Neeraj Sharma रिश्तों की कहानी ( पार्ट -१) द्वारा Kaushik Dave अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी