सुब्रहमण्य भारती, एक प्रमुख कवि और देशभक्त, भारतीयता और राष्ट्रवाद के प्रतीक रहे हैं। उनका जीवन काल केवल 39 वर्ष का था, लेकिन उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से जन जागरूकता और राष्ट्रीयता की अलख जगाई। भारती का जन्म 11 दिसंबर 1812 को तिरूनेलवेली जिले के एट्टयपुरम गांव में हुआ। उन्होंने बचपन से ही काव्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया और 12 वर्ष की उम्र में 'भारती' की उपाधि प्राप्त की। भारती ने बनारस में रहकर संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान हासिल किया। 1901 में वह एट्टयपुरम् लौटे और फिर 'स्वदेश मित्र' दैनिक के सह-सम्पादक बने। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीयता को बढ़ावा दिया, विशेषकर बंगाल विभाजन पर लिखी उनकी कविता 'बंगाल तुम्हारी जय हो' ने धूम मचा दी। वे जाति भेद और नारी मुक्ति के लिए भी सक्रिय रहे। उनकी प्रमुख कृतियों में 'स्वदेश गीत संसार' (1908) और 'ज्ञान भूमि' (1909) शामिल हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन किया और कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में भाग लिया। उनकी कविताओं में गहरी राष्ट्रवाद की भावना थी, जिससे वह ब्रिटिश शासन की नजरों में आ गए। गिरफतारी से बचने के लिए वे 1908 में पांडिचेरी चले गए। हालांकि उनके जीवन के अंतिम कुछ वर्ष कठिनाइयों से भरे रहे, लेकिन उन्होंने निरंतर कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। उनकी रचनाएँ आज भी प्रेरणादायक हैं और भारतीय चेतना का प्रतीक बनी हुई हैं। अफसर का अभिनन्दन - 28 Yashvant Kothari द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 1 2.9k Downloads 8.7k Views Writen by Yashvant Kothari Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सुब्रहमण्य भारती और भारतीय चेतना यशवंत कोठारी भारतीयता का सुब्रहमण्य भारती की कविताओं से बड़ा निकट का संबंध रहा है। वास्तव में जब सुब्रहमण्य भारती लिख रहे थे, तब पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ जन-आन्देालन की शुरूआत हो रही थी और भारती ने अपनी पैनी लेखनी के द्वारा राष्ट्री यता और राष्ट्र वाद की अलख जगाई थी। यही कारण था कि सुब्रहमण्य भारती के बारे में महात्मा गांधी ने लिखा- ‘मुझे सुब्रहमण्य भारती की रचनाओं जैसी कृतियां ही वास्तविक काव्य प्रतीत होती है, क्योंकि उनमें जन जन को अग्रसर करने की प्रेरणा है, जीवन की ज्योति जगाने Novels अफसर का अभिनन्दन कामदेव के वाण और प्रजातंत्र के खतरे यशवन्त कोठारी होली का प्राचीन संदर्भ ढूंढने निकला तो लगा कि बसंत के आगमन के साथ ही चारों तरफ कामदेव अपने वा... More Likes This Check-In हुआ, Check-Out नहीं! - अध्याय 3 द्वारा Sakshi Devkule मोहब्बत की दास्तान - 1 द्वारा Vishal Saini शोसल मीडिया और भगवत प्रसाद - 1 द्वारा saif Ansari हास्यास्त्र भाग–१ द्वारा Bhaveshkumar K Chudasama थ्री बेस्ट फॉरेवर - 1 द्वारा Kaju मैं मंच हूँ द्वारा Dr Mukesh Aseemit प्यार बेशुमार - भाग 8 द्वारा Aarushi Thakur अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी