कहानी "असमंजस" नव और उसकी पत्नी सखी के इर्द-गिर्द घूमती है। नव एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है और सुबह-सुबह अपने घर के पास के मैदान में व्यायाम कर रहा होता है। वहाँ उसे एक लड़की दिखाई देती है, जो उसके बगल में व्यायाम कर रही है। नव उसे देखकर असमंजस में पड़ जाता है कि उसने उसे पहले कहीं देखा है या नहीं। घर लौटने के बाद वह इसी सोच में खोया रहता है। रविवार को, वह कुछ सामान खरीदने की योजना बनाता है और पास की दुकान पर जाता है। वहाँ उसे फिर वही लड़की सुनाई देती है, जो ब्रेड और मसाला मांगती है। नव फिर से चौंक जाता है और सोचता है कि उसने उस लड़की को कहाँ देखा है। वह एक अनजान सपने में चला जाता है जहाँ वह लड़की उसे पुकारती है और बताती है कि वह पास में ही रहती है। लेकिन अचानक दुकान के मालिक की आवाज सुनकर नव सचेत हो जाता है, और देखता है कि वह लड़की सामान लेकर चली जाती है। नव अब भी असमंजस में है कि वह लड़की कौन है। तभी उसे नींद से जगाते हुए उसकी पत्नी सखी उसे बुलाती है। नव समझता है कि सपने में आई लड़की दरअसल उसकी पत्नी सखी ही थी। कहानी इस असमंजस और सखी की पहचान के इर्द-गिर्द घूमती है। असमंजस Satender_tiwari_brokenwordS द्वारा हिंदी नाटक 2.6k 4.3k Downloads 16.7k Views Writen by Satender_tiwari_brokenwordS Category नाटक पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कहानी - असमंजस किरदार - नव और सखी और एक असमंजस --------------------------------------------------------------कहानी काल्पनिक है और इसके किरदार भी काल्पनिक हैं।––----------------------------------------------------------नव एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और आज फिर घर के पास वाले मैदान पे अकेला बैठा था। सुबह का वक़्त था , कोई दौड़ रहा था, कोई व्यायाम कर रहा था । चिड़ियों चहचहाट सुबह सुबह किसी मधुर संगीत से कम नहीं थी। नव उठा और थोड़ी दौड़ लगाई फिर वो भी व्यायाम करने लगा। इतने में एक लड़की वहां आती है और वही बगल में व्यायाम करने लगती है ।नव ने एक बार उसे देखा फिर अपने वयायाम में व्यस्त More Likes This मेनका - भाग 2 द्वारा Raj Phulware पती पत्नी और वो - भाग 2 द्वारा Raj Phulware चंदेला - 2 द्वारा Raj Phulware BTS Femily Forever - 1 द्वारा Kaju मंदिर, मूर्ति, धर्म और शास्त्र — एक नई दृष्टि - 1 द्वारा Vedanta Two Agyat Agyani कृष्णा कैफ़े - भाग 1 द्वारा Raj Phulware आशिकी.....अब तुम ही हो। - 1 द्वारा vaishnavi Shukla अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी