कर्तार जी को दिल्ली जाने का अवसर मिला, और उनके दोस्त आतिश जी ने उनका रिज़र्वेशन करा दिया। कर्तार जी अक्सर दिल्ली आते थे, लेकिन सामान्य डिब्बे में यात्रा करते थे, जहाँ भीड़भाड़ होती थी। उन्हें हमेशा गरीबों के चेहरे देखकर सहानुभूति होती थी और वे उन्हें डपटकर सीट नहीं छोड़ते थे। दिल्ली पहुँचकर उन्हें खुशी होती थी क्योंकि उन्होंने यहीं पर बड़े होकर अपनी ज़िंदगी बिताई थी। इस बार, कर्तार जी का रिज़र्वेशन सुरक्षित था, जिससे वे खुश थे। यात्रा के दिन, उन्होंने रिज़र्वेशन चार्ट में देखा कि उनके ठीक नीचे एस0 एन0 घोष का नाम था, जिससे उन्हें अपने पुराने साथी घोष बाबू की याद आई। हालाँकि उनके बीच पहले थोड़ी नोक-झोंक हुई थी, लेकिन अब दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं होती थी। जब कर्तार जी डिब्बे में पहुँचे, तो वास्तव में घोष बाबू वहाँ बैठे थे। दोनों की नजरें मिलीं और उन्हें अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा। गाड़ी चलने के बाद, दोनों एक-दूसरे से आँखें चुराते रहे और कोई भी बोल नहीं सका। यात्रियों की चहल-पहल के बीच, कर्तार जी और घोष बाबू के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई। घोष बाबू, जो पान खाने के आदी थे, अपनी आदत के मुताबिक पान की डिबिया लेकर बैठे थे, और यह उनके लिए एक साधारण यात्रा का हिस्सा था। इंद्रधनुष सतरंगा - 23 Mohd Arshad Khan द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 2.1k Downloads 7.3k Views Writen by Mohd Arshad Khan Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कर्तार जी को दिल्ली जाना था। आतिश जी ने उनका रिज़र्वेशन करा दिया था। कर्तार जी एजेंसी के कामों से अक्सर दिल्ली आया-जाया करते थे। उनकी यात्रएँ इतनी अचानक और हड़बड़ी भरी होती थीं कि रिज़र्वेशन करा पाना मुश्किल होता था। ज़्यादातर उन्हें सामान्य डिब्बे में ही यात्र करनी पड़ती थी। सामान्य डिब्बे आमतौर पर भीड़ से खचाखच भरे होते थे। तिल रखने की भी जगह नहीं होती थी। कर्तार जी को प्रायः उसी भीड़ में यात्र करनी पड़ती। कर्तार जी छः फिट के हट्टे-कट्टे आदमी थे। किसी को कसकर डपट दें तो वह ऐसे ही सीट छोड़कर खड़ा हो जाए। Novels इंद्रधनुष सतरंगा हिलमिल मुहल्ले को लोग अजायब घर कहते हैं। इसलिए कि यहाँ जितने घर हैं, उतनी तरह के लोग हैं। अलग पहनावे, अलग खान-पान, अलग संस्कार, अलग बोली-बानी और अलग ध... More Likes This जादुई मुंदरी - 1 द्वारा Darkness दस महाविद्या साधना - 1 द्वारा Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 द्वारा Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी