laghukathae (divyadan, kothali) book and story is written by Gyan Prakash Peeyush in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. laghukathae (divyadan, kothali) is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. लघुकथाएँ (दिव्यदान, कोथली) Gyan Prakash Peeyush द्वारा हिंदी लघुकथा 10 1.5k Downloads 8.2k Views Writen by Gyan Prakash Peeyush Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दिव्य दान.......................मोहन सिंह मामूली हैसियत का आदमी था। उसने मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बना दिया था। उसके बेटे- बहू बहुत अच्छे स्वभाव के थे। समय पर उसे खाना मिल जाता था और हारी- बीमारी में दवा दारू भी। बहू- बेटे की बहुत सेवा करते थे। पड़ौस सत्संग भवन में स्वामी भारती जी आए हुए थे। वे कलयुग में राम नाम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बोले "कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरी पारा।" अर्थात एक राम का नाम ही कलयुग का आधार है जिसका सुमिरन करने से मनुष्य संसार रूपी सागर से पार उतर More Likes This सनातन - 2 द्वारा अशोक असफल वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती द्वारा R B Chavda दादीमा की कहानियाँ - 2 द्वारा Ashish My Devil Hubby Rebirth Love - 46 द्वारा Naaz Zehra अकेलापन द्वारा Kahani Sangrah मझली दीदी द्वारा S Sinha बुजुर्गो का आशिष - 2 द्वारा Ashish अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी