सास भी कभी बहू थी Dr. Vandana Gupta द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें मानवीय विज्ञान किताबें सास भी कभी बहू थी सास भी कभी बहू थी Dr. Vandana Gupta द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान (14) 3.8k 8.8k आज सरू जितनी खुश है उतनी ही उदास भी... जितनी उत्साहित है उतनी ही हताश भी... जितनी अतीत में गोते लगा रही है उतनी ही भविष्य में विचर रही है। वजह कोई खास न होते हुए भी बेहद खास ...और पढ़ेरह-रह कर माँजी याद आ रहीं हैं। माँजी मतलब उसकी सास उमादेवी। क्या कड़क व्यक्तित्व था उनका.. जिंदगी के आठ दशक ठसक से बिताने के बाद भी रौब में कमी नहीं आयी थी। कलफदार सूती साड़ी और माथे पर बड़ी सी बिंदी में उनका रूप और भी निखर जाता था। हक और शक उनके खास अंदाज़ थे। कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Dr. Vandana Gupta फॉलो