कहानी "दीप शिखा" एक माँ पेरुंदेवी और उसकी बेटी यामिनी के बीच के भावनात्मक संघर्ष को दर्शाती है। पेरुंदेवी अपने पति सारनाथन के साथ अपनी बेटी को उसके नए घर छोड़ने के बाद चिंता में है, यह सोचते हुए कि उसकी बेटी वहां कैसे रह पाएगी। यामिनी, जो नए माहौल से डरती है, अपनी माँ से कहती है कि वह वहां नहीं रहना चाहती। पेरुंदेवी अपनी बेटी को समझाने की कोशिश करती है, लेकिन यामिनी की घबराहट और नफरत की भावना उसे परेशान कर देती है। कहानी में माता-पिता और बच्चों के बीच की जटिल भावनाओं और संबंधों की गहराई को उजागर किया गया है।
दीप शिखा - 5
S Bhagyam Sharma
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
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विवरण
उसके बाद जो भी हुआ सब विपरीत ही हुआ शहर के दूसरे कोने में रहने वाले उसके पति के घर एक अच्छा दिन देखकर उसे छोड़ आए “बच्ची वहां पता नहीं कैसे रहेगी !” ऐसे बोलते हुए सारनाथन हॉल में बने झूले पर बैठे उस समय झूला वहीं लगा था हॉल की दीवार पर कुछ चित्र लगे थे उसमें से कुछ पेरुंदेवी ने कपड़े व चमकीली पन्नियों से बनाऐ थे और रवि वर्मा के बनाए चित्र भी टंगे थे
जो अपने ख्यालों को ही जीवन समझ लेता है उसका जीवन भी एकविचार ही बन कर रह जाता है उसमें कोई स्वाद या पूर्णता कहाँ से आएगी? संसार में आकर भी इस संसार को...
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