मन्नू की वह एक रात - 5 Pradeep Shrivastava द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें मन्नू की वह एक रात - 5 मन्नू की वह एक रात - 5 Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (22) 4k 2.4k ‘जल्दी अंधेरा करो, जल्दी अंधेरा करो।’ हम कुछ नहीं समझ सके तो उसने खिड़की दरवाजे बंद करके पर्दे से ढक देने को कहा। मकान तो देख ही रही हो कि तीन तरफ दूसरे मकान बने हैं। रोशनी आने का रास्ता ...और पढ़ेसामने से है। और सबसे पीछे कमरे में तो अंधेरा ऐसे हो जाता है मानो रात हो गई हो। हम पीछे वाले कमरे में ही थे। उसने हम दोनों को करीब बुलाया और फिर धीरे-धीरे अपनी मुट्ठी खोली तो उसकी हथेली पर उस अंधेरे में कुछ चमक रहा था। महक भी कुछ अजीब सी आ रही थी। वह महक दीपावली की न जाने क्यों याद दिला रही थी। फिर उसने कहा, कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें मन्नू की वह एक रात - उपन्यास Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (660) 85.9k 63.6k Free Novels by Pradeep Shrivastava अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Pradeep Shrivastava फॉलो