यह कहानी "हिटलर की प्रेमकथा" का तीसरा भाग है, जिसमें एक बच्चे के दिल में अपनी नानी के खोने का गहरा दुख है। कहानी में बच्चे की माँ उसे यह बताती है कि उसकी नानी अब नहीं रही, जिससे बच्चे का दिल टूटा हुआ है। नाना, जो कि बच्चे के लिए एक मजबूत और सहायक व्यक्ति हैं, इसे वापस लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह खुद को असमर्थ महसूस करते हैं। कहानी में बच्चे का नाना घोड़े पर सवार होकर बाहर जाता है, और बच्चे की माँ उसे याद दिलाती है कि उसे घर का ध्यान रखना है। बच्चा अपनी नानी की यादों में डूब जाता है और अचानक रोने लगता है। इसके बाद, कहानी में गांधी नानी का जिक्र होता है, जो बच्चे को बाजार की याद दिलाती हैं, जहाँ बूढ़ी औरत अपनी बेटी के लिए कपड़े खरीदने आई है। बाजार में एक सीन है, जहाँ बूढ़ी औरत अपना थैला उलट देती है और उसमें से पैसे गिरने की बात कहती है। इसी बीच, एक राजा बूढ़ी औरत की मदद करने के लिए लाला पर चिल्लाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सामाजिक अन्याय और दया की भावना का मुकाबला किया जा रहा है। कहानी में भावनात्मकता, यादें, और सामाजिक मुद्दों का मिश्रण है, जो इसके पात्रों की जिंदगियों को दर्शाता है।
हिटलर की प्रेमकथा - 3
Kusum Bhatt
द्वारा
हिंदी लघुकथा
Four Stars
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विवरण
गौरी, राधा, सीना परी और माँ का गला रूँध गया था... असूज (अश्विन) का महीना काल बनकर उतरा... खा गई अपनी नानी... हाँ... तू खा गई’’, मेरी माँ ने मुझे कोसा था। मैं सिसकते हुए बोली, ‘‘नाना, मेरी नानी मर क्यांे गई?’’ नाना चुप्प! काठ मार गया हो जैसे। मेरे कंठ से अनायास शब्द उमगने लगे ‘‘नाना, मेरी नानी वापस ला दो।’’
बचपन के दिन थे- चिंता से मुक्त और कौतूहल से भरे पाँवों के नीचे आसमान बिछ जाता। पंख उग आए..., पंखों को फैलाए हम नाना के आसमान में जाने को बेताब..., हम...
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