एक सच : आरंभ ही अंत Smit Makvana द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें हास्य कथाएं किताबें एक सच : आरंभ ही अंत एक सच : आरंभ ही अंत Smit Makvana द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 342 1.1k एक सच: आरंभ ही अंत PART-1 में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी ऐसे ही चलती रहती थी।रविवार के दिन पापा ...और पढ़ेपर आधे दिन ही जाते थे और आधा दिन हमारे साथ गुज़ारते थे। और रोज हम लोग डिनर साथ में करते थे। पापा और माँ के साथ रहके एक सुकून सा मिलता था। ऐसा लगता था कि ये पल यहीं पर ठहर जाये। बस अब और कुछ नहीं चाहिए।लेकिन उस दिन........ पापा को काम से आते-आते देर हो गयी, माँ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Smit Makvana फॉलो