"दहलीज़ के पार" कहानी में 'महिला जागरूकता अभियान' की टीम ने 'महिला स्वाभिमान केन्द्र' स्थापित किया, जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। दो वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद टीम ने अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त की। महिलाएँ अब आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त हो रही थीं, जिससे वे समाज के रूढ़ीवादी नियमों को तोड़कर आगे बढ़ने लगीं। हालांकि, जैसे-जैसे महिलाओं की संख्या 'महिला स्वाभिमान केन्द्र' में बढ़ी, समाज में इसके विरोधी स्वर भी तेज होने लगे। मुख्यतः पुरुष और बुजुर्ग महिलाएँ टीम के खिलाफ थे, उनका आरोप था कि यह टीम महिलाओं को गुमराह कर रही है और परिवार की व्यवस्था को बिगाड़ रही है। बढ़ती जागरूकता के कारण महिलाएँ परिवार के महत्वपूर्ण विषयों में रुचि लेने लगीं, जो पारंपरिक सोच रखने वालों को पसंद नहीं आया। इसके परिणामस्वरूप, विरोधियों ने साम-दाम-डंड-भेद की नीति अपनाई। शहरी सदस्यों के लिए यह ग्रामीणों का एक नया रूप था, जिसमें उन्होंने देखा कि परिवार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन इसका विरोध जारी था। महिलाएँ अब अपने अधिकारों की पहचान कर रही थीं और परिवार के मुद्दों में अपनी आवाज उठाने लगी थीं, जिससे उनकी स्थिति में बदलाव आ रहा था। दहलीज़ के पार - 22 Dr kavita Tyagi द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 26 3.1k Downloads 10.2k Views Writen by Dr kavita Tyagi Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘महिला जागरूकता अभियान की टीम ने जिस क्षेत्र मे ‘महिला स्वाभिमान केद्र' आरम्भ किया था, उस क्षेत्र मे टीम की आशानुरूप महिलाएँ अपनी भागीदारी दर्ज कराने लगी थी। दो वर्ष तक निरन्तर कठोर परिश्रम करने के बाद गरिमा की टीम ने अपने लक्ष्य तक पहुँचने मे अशतः सफलता प्राप्त कर ली। उस क्षेत्र की स्त्रियाँ अपनी शक्तियो का सदुपयोग करती हुई समाज के रूढ़ प्रतिबन्धो को तोड़कर अब उन्नति के पथ पर अग्रसर होने लगी थी। Novels दहलीज़ के पार उस दिन गरिमा अपने विद्यालय से लौटकर घर पहुँची, तो उसकी माँ एक पड़ोसिन महिला के साथ दरवाजे पर खड़ी हुई बाते कर रही थी। गरिमा जानती थी कि वह महिला, जो उसक... More Likes This बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 2 द्वारा Maya Hanchate Lunar Blood - 2 द्वारा Sameer Kumar पतझड़ के बाद - एक सच्चा इंतजार - 1 द्वारा Neha kariyaal एक अंधे मोहब्बत की एक अंधेरी कहानी - 1 द्वारा Zulekha Ansari मैं अनिका हूँ - और अब पूरी हूँ - 1 द्वारा Aarti w यशस्विनी - 1 द्वारा Dr Yogendra Kumar Pandey प्यार की जीत - 2 द्वारा Kishanlal Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी