Gulabo book and story is written by Mukteshwar Prasad Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gulabo is also popular in Classic Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. गुलाबो Mukteshwar Prasad Singh द्वारा हिंदी क्लासिक कहानियां 5 1.7k Downloads 4.9k Views Writen by Mukteshwar Prasad Singh Category क्लासिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण " गुलाबो ’’साहेबपुर कमाल स्टेशन के पश्चिमी छोर पर चालीस -पचास बनजारे कुछ दिनों से अपने तम्बुओं को तान डेरा जमाए थे। तम्बू फटी-चिटी चादरों और टेन्ट को हाथ सिलाई कर बनाये गये थे। तम्बुओं में रहने वाले मर्द लम्बे तगड़े मुस्टंडे थे तो औरतें व नवयुवतियां सूडौल उरोजों और कसरती बदन वाली। वे औरतें चोली घांघरा पहने, नाक में बुल्की या नथिया और गले में चाँदी की मोटी हंसुली पहने रहती। जब वे चलती तो पांवों के पाजेब से रुन-झुन की मीठी आवाज निकलती। उनके छोटे-छोटे बच्चे मात्र गंजी चड्डी पहने More Likes This तेरी मेरी यारी - 5 द्वारा Ashish Kumar Trivedi आखेट महल - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil कहानी फ्रेंडशिप की - 1 द्वारा Shahid Raza मीरा प्रेम का अर्थ - 3 - माधव की मीरा द्वारा sunita maurya द्वारावती - 41 द्वारा Vrajesh Shashikant Dave तमस ज्योति - 1 द्वारा Dr. Pruthvi Gohel इंद्रप्रस्थ - 2 द्वारा Shakti अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी