इस कहानी में मोहनलाल जी, एक सज्जन और दयालु व्यक्ति हैं, जो मुम्बई की एक इमारत में रहते हैं। पास में एक महात्मा जी हैं, जिनसे मोहनलाल जी नियमित रूप से भोजन प्रदान करते हैं। एक दिन महात्मा जी ने मोहनलाल जी को चेतावनी दी कि उन्हें आने वाली विपत्ति का संकेत है और संपत्ति का बंटवारा करते समय एक हिस्सा अपने लिए रखने की सलाह दी। लेकिन मोहनलाल जी ने महात्मा की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और अपनी संपत्ति को दो हिस्सों में बांट दिया। कुछ समय बाद, मोहनलाल जी के बच्चों ने उन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और अंततः मोहनलाल जी ने घर छोड़ने का निर्णय लिया। महात्मा जी से मिलने पर, उन्होंने अपनी स्थिति के बारे में बताया। महात्मा जी ने उन्हें मेहनत करने और समाज में उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया, और उन्हें पैसे देकर व्यापार शुरू करने में मदद की। मोहनलाल जी ने अपने व्यापार को सफलतापूर्वक पुनः स्थापित किया, जबकि उनके दोनों बेटे आपस में झगड़ते रहे और उनका व्यापार चौपट हो गया। जब वे मोहनलाल जी से सहायता मांगने आए, तो उन्होंने साफ कहा कि उस धन पर उनका कोई अधिकार नहीं है और उन्हें महात्मा जी से मदद मांगनी चाहिए। महात्मा जी ने उनकी सहायता करने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि उन्हें अपने कर्मों का परिणाम भोगना होगा। विश्वास Rajesh Maheshwari द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 6 1.2k Downloads 6.7k Views Writen by Rajesh Maheshwari Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण विश्वास मुम्बई की एक बहुमंजिला इमारत में मोहनलाल जी नाम के एक बहुत ही सज्जन व दयालु स्वभाव के व्यक्ति रहते थे। उसी इमारत के पास एक महात्मा जी दिन भर ईष्वर की आराधना में व्यस्त रहते थे। मोहनलाल जी के यहाँ से उन्हें प्रतिदिन रात का भोजन प्रदान किया जाता था। यह परम्परा काफी समय से चल रही थी। एक दिन उन महात्मा जी ने भोजन लाने वाले को निर्देष दिया कि अपने मालिक से कहना कि मैंने उसे याद किया है। यह सुनकर मोहनलाल जी तत्काल ही उनके पास पहुँचे और उन्हंे बुलाने का प्रायोजन जानना चाहा। More Likes This जादुई मुंदरी - 1 द्वारा Darkness दस महाविद्या साधना - 1 द्वारा Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 द्वारा Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी