अविनाश, रवि और श्रुति की बातचीत के दौरान श्रुति ने पूछा कि क्या चल रहा है। रवि ने बताया कि अविनाश मदद करने में कुशल हो गया है। श्रुति ने मजाक में कहा कि अविनाश उसे मदद नहीं करता, जिस पर अविनाश ने उसे अपनी नोट्स न देने की बात कही। फिर तीनों खाना खाने के लिए गए और खाने के बाद एक जगह बैठ गए। रात के दस बजे थे, और पाखी (जो कहानी में एक पात्र है) को नींद आ रही थी। उसने दिशा से घर जाने की बात की, लेकिन दिशा ने साढ़े दस बजे निकलने की सलाह दी। पाखी ने सोचा कि अविनाश हमेशा उसकी मुश्किल में मदद क्यों करता है। तभी काव्या ने पाखी से पूछा कि वह क्या सोच रही है। इसके बाद मि. और मिस फ्रेशर के अनाउंसमेंट की तैयारी होने लगी। अविनाश ने सभी नए छात्रों का स्वागत किया और उन्हें कॉलेज की विशेषताएं बताईं, जैसे कि रेगिंग का विरोध और सहयोग की भावना। फिर अविनाश ने मिस्टर और मिस फ्रेशर के नामों की घोषणा की। मिस्टर फ्रेशर का नाम साकेत मिश्रा और मिस फ्रेशर का नाम रीधीमा शास्त्री रखा गया। सभी ने तालियां बजाई और दोनों को बधाई दी। पार्टी अगले रविवार को तय हुई। सभी धीरे-धीरे ऑडिटोरियम से बाहर निकलने लगे। मनचाहा - 8 V Dhruva द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 35 4.9k Downloads 9.8k Views Writen by V Dhruva Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अविनाश और रवि की बातें चल रही थी तभी श्रुति वहां पर आई। श्रुति- क्या बातें हो रही है जरा हमें भी बताएं। रवि- कुछ नहीं बस तुम्हें कभी भी हेल्प चाहिए तो अवि से मांग लेना, बंदा हेल्प करने में माहिर हो गया है।? श्रुति- मुझे तो हेल्प करता हीं है, क्यो तुझे नहीं करता? अविनाश- तुझे क्या हेल्प की मैंने?? श्रुति- क्यो अपनी नोट्स नहीं देता मुझे? अविनाश- अच्छा वो... रवि- और क्या, कुछ दूसरा भी था? अविनाश- तुझे पिटना है अभी? चलो अब यहां से, कुछ खाते हैं। तीनों खाने के काउंटर पर चले गए। इधर हमने Novels मनचाहा जब से होश संभाला पापा को संघर्ष करते हुए देखा है मैंने। फिर भी मम्मी बिना किसी शिकायत के जिंदगी में साथ दें रहीं हैं। हम नोर्थ दिल्ली में रहते हैं। मे... More Likes This नींद में चलती कहानी... - 1 द्वारा Babul haq ansari शब्दों का सच्चा सौदागर - 1 द्वारा Chanchal Tapsyam Taaj Ya Taqdeer ? - 1 द्वारा dhun गड़बड़ - चैप्टर 2 द्वारा Maya Hanchate इश्क़ बेनाम - 1 द्वारा अशोक असफल शोहरत की कीमत - 1 द्वारा बैरागी दिलीप दास रंग है रवाभाई ! द्वारा Chaudhary Viral अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी