मेरी दोस्त मुझसे नाराज़ थी, जिसे मैंने 'कंजूस' की उपमा दी। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी, जिसका नजरिया दुनिया को देखने का अलग था। हमारी दोस्ती लगभग एक साल पुरानी थी, और वह जब भी परेशान होती, मुझे सबसे पहले बताती। उसकी हंसी मुझे मेरी समस्याएं भूलने पर मजबूर कर देती थी। मेरे लिए वह खास थी और मैं उसे कभी खोना नहीं चाहता था। मुझे उसकी पसंद और नापसंद के बारे में सब कुछ पता था। लेकिन अब वह मुझसे दूर थी, और इसकी वजह सिर्फ मैं ही था। मैंने उसे बिना बताए बात करना बंद कर दिया था, जबकि वह मुझसे संपर्क करने की कोशिश करती रही। अब हमारी बातचीत केवल औपचारिक रह गई थी। मैं उसे मनाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह मुझसे मिलने से भी मना कर रही थी। इस कठिनाई के बावजूद, मैंने ठान लिया था कि मैं उसे मनाकर ही रहूंगा।
प्यारी दोस्त - 1
Unknown द्वारा हिंदी पत्रिका
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विवरण
मेरी दोस्त मुझसे नाराज़ थी , हा मेरी दोस्त कंजूस(दोस्त को कंजूस की उपमा) मुझसे नाराज़ थी। उसकी बात करू तो अब तक की मेरी सबसे अच्चीदोस्त । उसकी बात करू तो मुंह पर हसी आ जाए।उसकी बात सबसे अलग थी उसका दुनिया को देखना का नजरिया भी सबसे अलग था। वो बात अलग है कि वो कभी कबार ही मेरे काम आती पर शायद कहीं ना कहीं वो मेरे एनर्जी ड्रिंक थी । करीबन एक साल से हम दोस्त है। जब कभी भी उसे कोई तकलीफ़ हो या कोई भी
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