यह कहानी चार भागों में विभाजित है, जो मानवता, ज्ञान, यादें, और बचपन की मासूमियत के विषय में हैं। 1. **"पले इंसानियत जिसमें मैं वो दालान हो जाऊं"**: इस भाग में कवि मानवता की महत्ता पर जोर देता है। वह सभी धार्मिक भेदभावों को बेकार मानता है और चाहता है कि वह सिर्फ एक इंसान बने रहे, जो अपने रिश्तों और दूसरों की खुशियों के लिए समर्पित हो। 2. **"बस इतना सा तू ज्ञान दे दाता"**: इसमें कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसे ज्ञान और समझ प्रदान करे ताकि वह इस धरती को बचा सके। वह स्वार्थ से भरी दुनिया में अपने और बच्चों के लिए सही मार्गदर्शन चाहता है और समाज में बदलाव की आवश्यकता पर बल देता है। 3. **"बूढ़ा बाग"**: यह भाग एक अकेले बाग की कहानी है, जो पुराने दिनों की यादों को संजोए हुए है। बाग जीवन के विभिन्न पहलुओं और पीढ़ियों के बीच के संबंधों को दर्शाता है, और यह दर्शाता है कि कैसे समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। 4. **"आईये बचपन को फिर से जीते हैं"**: कवि अपने बचपन की यादों को ताजा करता है, जब वह खेलकूद और सरल जीवन का आनंद लेता था। वह उन दिनों की कसक महसूस करता है और चाहता है कि वे दिन फिर से लौटें, जहाँ खुशी और मासूमियत थी। सारांश में, ये कविताएँ मानवता, ज्ञान, यादों, और बचपन की मासूमियत पर विचार करती हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। पले इंसानियत जिसमें मैं वो दालान हो जाऊं Rakesh Kumar Pandey Sagar द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 2 1.7k Downloads 9.2k Views Writen by Rakesh Kumar Pandey Sagar Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण १- "पले इंसानियत जिसमें मैं वो दालान हो जाऊं" तमन्ना है तेरे सजदे में मैं,कुर्बान हो जाऊं, चले जो पीढ़ियों तक,वो बना दीवान हो जाऊं, ये क्या हिन्दू, ये क्या मुस्लिम,हैं सब बेकार की बातें, पले इंसानियत जिसमें,मैं वो दालान हो जॉऊँ।। फिक्र किसको है रिश्तों की,सब अपने आप में उलझे, है कैसा स्वार्थ का जाला,सुलझकर भी जो ना सुलझे, न मुझको दीद की चाहत,न जन्नत की तमन्ना है, मैं था इंसान, रहूँ इंसान,और इंसान हो जाऊं।। मेरी खुशियों की चादर भी,तू उनको सौंप दी ईश्वर, More Likes This जादुई मुंदरी - 1 द्वारा Darkness दस महाविद्या साधना - 1 द्वारा Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 द्वारा Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी