मुन्नी अपने मम्मी-पापा की इकलौती संतान थी और इसलिए वह जिद्दी हो गई थी। जब उसके दादा जी उनके साथ रहने लगे, तो मुन्नी को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने उन्हें अच्छा व्यवहार नहीं किया। उसके माता-पिता ने उसे समझाया कि वह दादा जी से दोस्ती करे, लेकिन मुन्नी ने नहीं माना। फिर मुन्नी की दोस्ती विन्नी से हुई, जो बहुत मिलनसार थी। विन्नी ने जल्दी ही दादा जी के साथ घुल-मिल कर उन्हें पसंद करने लगी। एक दिन जब विन्नी ने देखा कि मुन्नी अपने दादा जी पर चिल्ला रही है, तो उसने उसे समझाया। विन्नी की संगत में रहकर, मुन्नी ने धीरे-धीरे अपने दादा जी के साथ अच्छा व्यवहार करना शुरू किया और उनकी मदद करने लगी। मुन्नी के इस बदलाव से उसके माता-पिता खुश थे। जब उसके दादा जी ने उसे जन्मदिन पर उसकी पसंदीदा गुड़िया दी, तो वह बहुत खुश हुई। एक दिन, मुन्नी और विन्नी ने गुड्डा-गुड़िया की शादी का खेल खेला। दोनों ने अपनी गुड़िया और गुड्डे को सजाया और शादी की तैयारी की। मुन्नी ने अपने दादा जी की दी हुई गुड़िया की तारीफ की और विन्नी की गुड़िया भी बहुत खूबसूरत थी। दोनों ने मिलकर अपने गुड्डा-गुड़िया की शादी का आनंद लिया और एक-दूसरे को खाना भी खिलाया। इस तरह, मुन्नी ने अपने दादा जी के प्रति अपने व्यवहार में सुधार किया और विन्नी की मदद से वह एक बेहतर दोस्त और granddaughter बन गई। मुन्नी और विन्नी Asha Rautela द्वारा हिंदी लघुकथा 5.9k 1.6k Downloads 4.5k Views Writen by Asha Rautela Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मुन्नी और विन्नी मुन्नी अपने मम्मी-पापा की इकलौती सन्तान थी इसलिए वह बहुत जिददी हो गई थी। जब उसके दादा जी उन लोंगों के साथ रहने लगे तो मुन्नी को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। वह अपने दादा जी के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करती थी। दादा जी अगर टी. वी. पर कोई अपनी का चैनल लगाते तो वह झट से बदल कर कार्टून चैनल लगा देती थी। उसके मम्मी-पापा ने उसे बहुत समझाया कि वह अपने दादा जी से दोस्ती कर ले, उनसे अच्छा बर्ताव करे पर मुन्नी तो मुन्नी थी। जब मुन्नी दूसरे स्कूल गई तो More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी