यह कविता विभिन्न भावनाओं, सामाजिक मुद्दों और जीवन के अनुभवों को व्यक्त करती है। 1. कविता में यह कहा गया है कि आँखों में ख्वाब और लेखन में आग होना चाहिए, ताकि उनमें गहराई हो। 2. मेहनत के फल की बात करते हुए यह बताया गया है कि गिरने के बावजूद संभलना जरूरी है। 3. प्यार और युद्ध में जो कुछ भी जायज है, वह खुद प्यार और युद्ध को जायज नहीं बनाता। 4. देश की तरक्की के साथ इंसानियत का गिरना एक गंभीर मुद्दा है। 5. समाचारों में घटनाओं का आना और समय का न होना दर्शाता है कि असलियत कुछ और है। 6. माफी का भाव और प्यार की गहराई को दर्शाया गया है। 7. कविता की प्रेरणा और गहराई को व्यक्त किया गया है। 8. इंसान की प्यास की अजीबता को दर्शाते हुए, कभी समंदर कम पड़ता है तो कभी आंसू भारी पड़ जाते हैं। 9. अहंकार का मिटना और मिट्टी में मिलना एक गहन विचार है। 10. प्यार की खोज और उसके अजीब प्यास को व्यक्त किया गया है। 11. महान बनने के लिए हार की गलियों से गुजरना आवश्यक है। 12. नींद और ख्वाबों के बीच संतुलन बनाए रखने का संदेश है। 13. खूबसूरत होने के बावजूद गर्व को छोड़ने का सुझाव दिया गया है। 14. रंजिशें खत्म करके मिलन का आग्रह किया गया है। 15. जिम्मेदारियों के बोझ तले बड़े होने की प्रक्रिया को दर्शाया गया है। 16. खुद को खराब करने के बजाय अपनी पहचान को समझने की बात है। 17. आजादी के बाद देश की बदलती तस्वीर को दर्शाया गया है। 18. स्वाद की बातचीत में जहर और अमृत का अंतर समझाया गया है। 19. दर्द की सौगात और प्यार की गहराई को बयां किया गया है। 20. गरीब और अमीर के बीच का सौदा और उसकी गहराई को दर्शाया गया है। 21. उल्फत और नफरत के जटिल रिश्ते को व्यक्त किया गया है। 22. अनजाम न होने की भावनाओं को साझा किया गया है। 23. धार्मिक ग्रंथों के बीच इंसानियत के संकट को उठाया गया है। 24. मौत के लेखनी Ajay Amitabh Suman द्वारा हिंदी कविता 3.7k 2.4k Downloads 17k Views Writen by Ajay Amitabh Suman Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण 1.वो आँख हीं क्या कि जिसमे ना हो कोई ख्वाब ,वो लेखन हीं क्या कि जिसमे ना हो कोई आग। 2.मेहनत के सारे फुल ऐसे हीं नही फल गए,गिरे तो हम भी थे मगर गिरकर संभल गए। 3.जिस प्यार और जंग में सब जायज है,वो ना मोहब्बत जायज है, न जंग जायज है। 4.तरक्की के पैमाने पे देश यूँ चढ़ता रहा.इंसानियत गिरती रही इन्सान बढ़ता रहा। 5.अखबार में आए ये तय नहीं है,हादसा तो है मगर समय नहीं है। 6.जा तुझे माफ किया,क्या हुआ जो सितम ढाती है,एक तू हीं तो है,जो अंत तक निभाती है। 7.कल्प नद पर मेरे More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी