कहानी "नारा" एक व्यक्ति की है जो एक इमारत में अपने किराए के लिए मकान मालिक से मिलने जाता है। उसे ऐसा महसूस होता है कि इमारत की सभी मंजिलें उसके कंधों पर हैं। वह धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरता है और जब ऊपर चढ़ता है, तो उसे आशा होती है कि मकान मालिक उसकी स्थिति को समझेगा और उसे एक महीने की मोहलत देगा। हालांकि, जब वह मकान मालिक के पास पहुंचता है, तो उसे एहसास होता है कि वह भीख मांगने आया है। वह अपने गर्व को छोड़कर दरवाजे के अंदर प्रवेश करता है और अपनी दुखदायी परिस्थितियों को सामने लाने की कोशिश करता है। मगर जब मकान मालिक उससे पूछता है कि क्या उसने किराया लाया है, तो उसे निराशा होती है क्योंकि मकान मालिक में सहानुभूति की कोई भावना नहीं दिखाई देती। कहानी में किरायेदार अपनी पुरानी और नई दुखों को याद करता है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश करता है, लेकिन वह समझ नहीं पाता कि उन भावनाओं को कैसे संभाले। यह कहानी गरीबी, असहायता और मानवता की दयनीयता को दर्शाती है। नारा Saadat Hasan Manto द्वारा हिंदी लघुकथा 9k 5.4k Downloads 15.9k Views Writen by Saadat Hasan Manto Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण उसे यूं महसूस हुआ कि इस संगीन इमारत की सातों मंज़िलें उस के काँधों पर धर दी गई हैं। वो सातवें मंज़िल से एक एक सीढ़ी करके नीचे उतरा और तमाम मंज़िलों का बोझ उस के चौड़े मगर दुबले कांधे पर सवार होता गया। जब वो मकान के मालिक से मिलने के लिए ऊपर चढ़ रहा था। तो उसे महसूस हुआ था कि उस का कुछ बोझ हल्का हो गया है और कुछ हल्का हो जाएगा। इस लिए कि उस ने अपने दिल में सोचा था। मालिक मकान जिसे सब सेठ के नाम से पुकारते हैं उस की बिप्ता ज़रूर सुनेगा। और किराया चुकाने के लिए उसे एक महीने की और मोहलत बख़्श देगा..... बख़्श देगा!...... ये सोचते हुए उस के ग़रूर को ठेस लगी थी लेकिन फ़ौरन ही उस को असलीयत भी मालूम हो गई थी.... वो भीक मांगने ही तो जा रहा था। और भीक हाथ फैला कर, आँखों में आँसू भर के, अपने दुख दर्द सुना कर और अपने घाओ दिखा कर ही मांगी जाती है......! Novels मंटो की दिलचस्प कहानियाँ मैं आज आप को चंद शिकारी औरतों के क़िस्से सुनाऊंगा। मेरा ख़याल है कि आप को भी कभी उन से वास्ता पड़ा होगा। मैं बंबई में था। फिल्मिस्तान से आम तौर पर बर्... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी