यह कहानी एक बुरे वक्त के बारे में है, जहां दो लोग बिस्तर पर लेटे हुए गहन चिंता में डूबे हैं। वे एकटक छत की ओर देख रहे हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति का पता चलता है। कहानी का माहौल गंभीर और चिंताजनक है, जो दर्शाता है कि वे किसी कठिनाई या समस्या का सामना कर रहे हैं। स्वाभिमान - लघुकथा - 44 Sunita Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 2 1.2k Downloads 5.8k Views Writen by Sunita Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण काफी देर से बिस्तर पर लेटे हुए वे दोनों गहन चिंता में डूबे हुए एकटक छत की ओर ताक रहे थे । सुनो जी !आपकी फैक्ट्री में हड़ताल कब तक चलेगी । देखो ना तीन महीने हो गये पगार मिले हुए । ऐसा ही चलता रहा तो भूखों मरने की नौबत आ जायेगी सरोज ने डूबते से स्वर में वहाँ पसरी खामोशी को तोड़ते हुए अपने पति से पूछा । More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी