यह कहानी "खरपतवार" नामक एक नारी के अनुभव को दर्शाती है। एक परंपरागत पारिवारिक माहौल में, जब भइया ने माँ के पैर छुए, तो माँ ने उन्हें आशीर्वाद दिया। जब लेखिका ने अपने अभिवादन पर कोई आशीर्वाद न मिलने की शिकायत की, तो परिवार की महिलाएँ उसे बताती हैं कि उसे ससुराल में आशीर्वाद मिलते हैं। इस पर वह उदास हो जाती है, क्योंकि उसे परिवार के सदस्यों से वही सम्मान और आशीर्वाद नहीं मिलते जो उसके भाई को मिलता है। माँ उसे समझाती हैं कि महिलाएँ भी अपने आप में मजबूत हैं, जैसे घास जो बिना किसी बोए या सींचे ही ऊँची होती हैं। कहानी में एक गहरी भावनात्मकता है, जिसमें नारी की स्थिति और समाज में उसके स्थान पर विचार किया गया है। अंत में, एक अन्य दृश्य में, वह घृणा से किसी को देखती है और एक गहरी अनिच्छा महसूस करती है। स्वाभिमान - लघुकथा - 35 Sandhya Tiwari द्वारा हिंदी लघुकथा 3 1.1k Downloads 4.2k Views Writen by Sandhya Tiwari Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण भइया ने माँ के पैर छुए तो माँ स्नेह विगलित स्वर में बोलीं अच्छे रहो, सुखी रहो, तरक्की करो। पापा के पैर छूने पर पापा ने कहा जुग जुग जियो बेटा । चिंरजीवी हो। यशस्वी हो। ताई, चाची, बुआ ने भी कुछ न कुछ आशीर्वचन कहे । More Likes This शादी एक समझौता - 1 द्वारा SUMIT PRAJAPATI रंगीन कहानी - भाग 1 द्वारा Gadriya Boy तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी