यह कहानी "डर लगता है" वन्दिता और आलोक के बीच के जटिल भावनात्मक संबंध की है। वन्दिता ने आलोक को फोन किया, जिसके बाद उनकी बातचीत में तनाव और दर्द की गहराई उजागर होती है। पिछले पंद्रह दिनों में वन्दिता ने अपने जीवन में संघर्ष और बेचैनी का सामना किया है, जहां वह आलोक के बिना जीने की कोशिश कर रही है लेकिन असफल हो रही है। आलोक भी उसके दर्द को महसूस करता है, लेकिन वह चाहता है कि वन्दिता अपनी भावनाओं की जिम्मेदारी खुद ले। दोनों के बीच की बातचीत उनकी आंतरिक भावनाओं का संघर्ष दर्शाती है, जहां वे एक-दूसरे के प्रति अपनी निर्भरता और दर्द को व्यक्त करते हैं। कहानी अंत में आलोक के निर्णय के साथ समाप्त होती है, जो उसे आगे बढ़ने की हिम्मत देता है। डर लगता है SURENDRA ARORA द्वारा हिंदी लघुकथा 10 2.1k Downloads 9.1k Views Writen by SURENDRA ARORA Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कहानी डर लगता है " क्यूँ किया है फिर से फोन ? मजबूरिया तुम्हारीं हैं और उनकी आग में झुलस मैं रहा हूँ . खुद पर कंट्रोल नहीं कर सकती और इर्धन मैं बना हुआ हूँ , आखिर मैंने तुम्हारा बिगाड़ा क्या है ? " पंद्रह दिन पहले के असमंजस भरे कटु वाद - विवाद के अनबोले को झेलने के बाद वन्दिता का फोन आया तो आलोक बिफरे More Likes This शादी एक समझौता - 1 द्वारा SUMIT PRAJAPATI रंगीन कहानी - भाग 1 द्वारा Gadriya Boy तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी