इस कहानी में अजय अपने दोस्त मानव के सामने अपनी पत्नी रचना को चाय लाने में देरी होने पर डांटता है। मानव यह देखकर हैरान है कि रचना चुपचाप सहन कर रही है। वह अजय से कहता है कि किसी दूसरे आदमी के सामने पत्नी को इस तरह डांटना सही नहीं है। अजय का जवाब है कि वह पुरुष हैं और महिलाओं को उनकी जगह पर रखना चाहिए। मानव रचना के प्रति अजय के व्यवहार पर चिंता व्यक्त करता है और सोचता है कि अगर रचना कभी नाराज होकर कुछ कड़ा कदम उठाएगी तो क्या होगा। अजय इस बात को नजरअंदाज करते हुए अपनी सोच के अनुसार व्यवहार करता है, यह दर्शाते हुए कि वह पारंपरिक सोच पर कायम है। कहानी में इस पारिवारिक और सामाजिक संबंधों की जटिलता को दर्शाया गया है। स्वाभिमान - लघुकथा - 27 डॉ. कुमारसम्भव जोशी द्वारा हिंदी लघुकथा 2.2k 1.3k Downloads 4.7k Views Writen by डॉ. कुमारसम्भव जोशी Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अरे! चाय आज ही आएगी या इनको अपनी चाय खुद के घर से ही लाने का बोल दूँ. चाय लाने में जरा सी देरी होने पर ही अजय ने अपने दोस्त मानव की उपस्थिति की परवाह किए बगैर रचना को बुरी तरह लताड़ दिया. 10.9 ....! More Likes This नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी