यह कहानी "अभिमान" एक परिवार की है जिसमें पारंबी नाम की एक लड़की को नागपुर में काम करने के लिए भेजा जा रहा है। उसकी देखभाल करने के लिए उसे अच्छे पैसे और सुविधा दी जा रही हैं। लेकिन कहानी में जाति और पहचान का मुद्दा उठता है, जब पारंबी की जाति को लेकर चिंता जताई जाती है। पंडिताइन बताती हैं कि पड़ोसियों को पता चलने पर वे पारंबी के हाथ का पानी भी नहीं पिएंगे, इसलिए उसे ब्राह्मण बताने की सलाह दी जाती है। लेकिन अंत में, पारंबी इस प्रस्ताव को ठुकरा देती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पैसे की तुलना में उसकी पहचान और स्वाभिमान अधिक महत्वपूर्ण है। स्वाभिमान - लघुकथा - 15 Bhagwan Vaidya द्वारा हिंदी लघुकथा 9 994 Downloads 4k Views Writen by Bhagwan Vaidya Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ‘‘अब और विचार न करो, परबतिया। मनीष और बहू कल लौटनेवाले हैं, नागपुर। तुम पारंबी को बैग लेकर तैयार रखना। मैं रामदीन को भेज दूँगी लेने के लिए।’’ ‘‘मैं एक शब्द पारंबी से पूछ लेना चाहती हूँ, मालकिन।’’ More Likes This सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari Chai ki Pyali - 1 द्वारा Mansi गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 1 द्वारा Anarchy Short Story अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी