यह कहानी एक व्यक्ति के भावनात्मक क्षण का वर्णन करती है जब वह अपने माता-पिता के सामने खड़ा होता है। वह मन में खुशी और उत्साह का अनुभव करता है, जो उस समय की सुंदरता और उसके परिवार के प्रति उसके प्यार को दर्शाता है। दरवाजे की बेल बजने पर, उसे अपने प्रियजनों का साथ होने का एहसास होता है, जिससे उसका दिल खिल उठता है। यह क्षण उसके लिए विशेष महत्व रखता है, जहां वह अपने परिवार के साथ अपनी खुशियों को साझा करता है। स्वाभिमान - लघुकथा - 2 Kamal Kapoor द्वारा हिंदी लघुकथा 7 1.3k Downloads 5.4k Views Writen by Kamal Kapoor Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मुग्ध मन से गुलदान में फूल सज़ा रही थी सुमन कि ‘डोर-बेल’बजी।द्वार खोला तो दिल खिल उठा…माँ-पापा खड़े थे सामने।वह माँ से गले मिलने के लिये आगे बढ़ी परंतु उन्होंने उसे परे धकेल दिया और दनदनाते हुए भीतर आ गईं। More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी