यह कहानी झारखंड के बोकारो स्टील सिटी की है, जहां लेखक के पिता एच. एस. सी. एल कंपनी में ऑफिसर थे और परिवार को एक अच्छा सरकारी मकान मिला था। उस समय माता-पिता लड़कियों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं होते थे। बच्चों का मनोरंजन मैदान, कॉमिक्स, चंपक, नंदन और बालपाकेट बुक्स के माध्यम से होता था। कैम्प के वो बीस दिन Mamta shukla द्वारा हिंदी यात्रा विशेष 5 1.4k Downloads 5.9k Views Writen by Mamta shukla Category यात्रा विशेष पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बात उन दिनों की है जब हम झाखण्ड के बोकारो स्टील सिटी में रहते थे।पापा एच. एस. सी.एल कंपनी में ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे।अच्छा खासा सरकारी मकान मिला हुआ था। उन दिनों लड़कियों की सुरक्षा को ले कर,माता पिता इतने भयभीत नहीं हुआ करते थे।तब बच्चों का मनोरंजन मैदान, कॉमिक्स,चम्पक,नंदन,और बालपाकेट बुक्स हुआ करता था। बच्चों से मतलब लड़के लड़कियों दोनों से है।तब लड़कियाँ भी उसी तरह निडर हो कहीं भी,खेलती थीं।दोपहर को कॉमिक्स,शाम को मैदान।रात में होमवर्क किया।इससे ज्यादा पढ़ाई की रिवाज मेरे घर में,मेरे लिये तो नहीं थी।घर मे सबसे छोटी होने की वजह से,लाड़ली जो More Likes This मीरा प्रेम का अर्थ - 6 - और क्या क्या छुपाया है??? द्वारा sunita maurya मुनस्यारी( उत्तराखण्ड) यात्रा-२ द्वारा महेश रौतेला LONDON TOUR द्वारा Arun Singla कोमल की डायरी - 1 - नदिया धीरे बहो द्वारा Dr. Suryapal Singh चार धाम की यात्रा : उत्तराखंड - भारत द्वारा Arun Singla WORLD TOUR WITH ME - 1 द्वारा Arun Singla सिक्किम यात्रा - 1 द्वारा महेश रौतेला अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी