यह कहानी "चांदनी रात" पर आधारित है, जिसमें एक गुमसुम रात का चित्रण किया गया है। रात, आँखें और होठ सब गुमसुम हैं। प्रियतम के दूर जाने की वजह से यादें भी गुमसुम हैं और दिल में एक दर्द का एहसास है। गज़ल की आवाज़ खो गई है और यह अनाथ हो गई है, जिससे दिल का चैन भी चला गया है। लेखक अपने गम को व्यक्त करता है और यह महसूस करता है कि जीवन में खोने का अहसास कितना दुखद है। अंत में, पाने की चाहत अधूरी रह जाती है, जिससे एक गहरी उदासी का भाव उत्पन्न होता है।
चांदनी रात
Darshita Babubhai Shah
द्वारा
हिंदी कविता
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विवरण
1 - रात गुमसुम 2 - मखमली आवाज 3 - पंखी 4 - नाम 5 - बंधन 6 - शिक्षा 7 - मौसम 8 - पत्थरो 9 - छांव 10 - धूप 11 - भारत 12 - जिंदगी 13 - परदों 14 - मुलाकात 15 - प्यार 16 - दर्द का रिस्ता 17 - आस 18 - प्रेम की भूखी 19 - तेरी यादें 20 - वजह 21 - ग़ज़ल 22 - चांदनी रात
में और मेरे अहसास भाग-१ *** ईश्क में तेरे जोगन बन गई lआज राधा जोगन बन गई ll *** गरघर कीदीवार केकर्णहोतेकोई घरखड़ाना होता ll *** काटे नहीं कटता एक पल यह...
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