नेहा हर रविवार को एक वृद्धाश्रम में जाती है, जहाँ वह वृद्ध जनों के लिए आवश्यक सामान लाती है और उनके साथ खेलती है। वह रामेश्वर काका के साथ शतरंज खेलती है, जो उनका प्रिय खेल है। नेहा ने अमेरिका जाकर सुधीर से शादी की, जबकि वह अपने माता-पिता के करीब रहना चाहती थी। धीरे-धीरे, उनके भाई-भाभी ने नेहा के माता-पिता से संपर्क करना बंद कर दिया। जब नेहा ने अपने पिता से बात की, तो उन्हें बताया गया कि उसके भाई-भाभी ने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ दिया है। यह सुनकर नेहा को दुख हुआ, लेकिन उसके पिता ने उसे आश्वस्त किया कि वे ठीक हैं। वृद्ध जन आश्रम Ved Prakash Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 28.7k 1.7k Downloads 9.5k Views Writen by Ved Prakash Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आज नेहा वृद्ध जन आश्रम का सही मतलब समझ गयी थी और सोच रही थी कि परिवार बढ्ने पर घर छोटा पड़ जाए तो रामेश्वर काका की तरह खुशी ढूंढ लेनी चाहिए। शायद यही कारण रहा होगा कि हमारे पूर्वजों ने शास्त्रों में वानप्रस्थ आश्रम की व्याख्या की है। More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी