कहानी "मांगे मिले न भीख" कालू राम नामक एक व्यक्ति के बारे में है, जो जीवन में केवल सोने और भरपूर भोजन करने में विश्वास करता है। वह चारपाई पर लेटा हुआ है और सोच रहा है कि उसे अब अपने खाने-पीने का खुद ही इंतज़ाम करना होगा, क्योंकि उसके पिता ने उसे और पालने से मना कर दिया है। कालू यह सोचता है कि हर काम में मेहनत होती है और उसे किसी आरामदायक जीवन का सपना है। लेकिन उसकी सोच में बाधा डालते हुए एक जोगी की आवाज़ आती है, जिससे उसकी नींद और सपने टूट जाते हैं। कहानी कालू की आलसी और आरामतलब जीवनशैली को दर्शाती है, साथ ही उसके सामने आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करती है।
माँगे मिले न भीख
Neetu Singh Renuka द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
कुछ लोग इतने आलसी होते हैं कि आलस्य की पराकाष्ठा को भी पार कर जाते हैं। ऐसे में अगर आजीविका चलाने के लिए उन्हें भीख भी माँगनी पड़े तो क्या उनसे यह संभव हो पाएगा भीख माँगना क्या इतना आसान है
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