कहानी "कर्मा" एक व्यक्ति के अनुभव के इर्द-गिर्द घूमती है जब वह एक दुकान पर जाकर सिगरेट खरीदता है। वह अपने पैसे के बारे में सोचता है और उसे लगता है कि दुकानदार ने उसे गलत रकम लौटाई है। हालाँकि, उसने यह सोचकर कुछ नहीं कहा कि "भगवान पैसे दे रहे हैं, क्यों मना करे।" वह दुकान से बाहर निकलकर शराब की दुकान की ओर बढ़ता है और सोचता है कि आज वह थोड़ी व्हिस्की खरीद लेगा। उसे चिकेन बनाने का भी ख्याल आता है, लेकिन फिर वह तय करता है कि क्यों झमेले में पड़े, हाफ तंदूरी खरीद लेता है। कहानी में उसके मानसिक संघर्ष और जीवन की सरलता का चित्रण किया गया है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन के एक छोटे से पल को दर्शाता है।
कर्मा
Nimesh द्वारा हिंदी हास्य कथाएं
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विवरण
एक छोटी सी कहानी है जिसका इरादा थोड़ा पाठको को हंसाने का है, कोई खास शिक्षा तो नहीं है इसमें, हाँ आप थोड़ा सोच में पड़ेंगे कि फिर बाद में और क्या हुआ, क्या उसने पैसे लौटाए, आखिए इस कहानी में हीरो कौन है, सच कौन बोल रहा है, दरअसल इस कहानी कएक मतलब ये भी है की दुनिया वैसी हीं होती है जैसा आप देखते हैं।
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