कहानी "एक अमूल्य हीरा- ओडोना" में हीरो ओनोडा की वीरता का वर्णन किया गया है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के लिए लड़ाई करता रहा। ओनोडा, जो कि एक जापानी कंपनी में काम करता था, ने 20 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया और विशेष गोरिल्ला प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1944 में, उसे फिलिपींस के लुबांग द्वीप पर तैनात किया गया, जहाँ उसे बताया गया कि उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और कई दिनों तक भोजन की कमी हो सकती है। जैसे-जैसे समय बीता, ओनोडा और उसके साथियों पर दुश्मनों ने हमला किया, जिसमें कई योद्धा घायल हो गए और कुछ मारे गए। वे भूखे और प्यासे रहकर अपने मिशन पर ध्यान केंद्रित करते रहे। लगभग एक साल बाद, 1945 में, गाँव वालों ने उन्हें सूचित किया कि युद्ध समाप्त हो चुका है और जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया है। लेकिन ओनोडा ने इसे दुश्मनों की चाल समझा और अपने साथियों को आश्वस्त किया कि उन्हें अभी भी लड़ाई जारी रखनी चाहिए। यह कहानी ओनोडा की देशभक्ति और संघर्ष की भावना को दर्शाती है।
एक अमूल्य हीरा- ओडोना
Sonia Gupta
द्वारा
हिंदी लघुकथा
Four Stars
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विवरण
एक ऐसे योद्धा की कहानी जो विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद भी अपने देश के लिए लड़ता रहा अंतिम पल तक जब तक उसको यकीन नहीं हुआ ! विश्वयुद्ध के बाद पनपती एक और गाथा
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