कहानी "मित्रलाभ" में दो मुख्य भाग हैं। पहला भाग एक वृद्ध बाघ और एक मुसाफिर की कहानी है। बाघ मुसाफिरों को अपने हाथ में रखे सुवर्ण कंगन को लेने के लिए बुलाता है, लेकिन मुसाफिर लालच में आकर यह सोचता है कि बाघ के पास जाना खतरनाक है। यह कहानी यह सिखाती है कि जो वस्तुएँ आकर्षक लगती हैं, वे हमेशा सुरक्षित नहीं होतीं और बिना विवेक के कार्य करना हानिकारक हो सकता है। अंत में बाघ मुसाफिर को मार देता है, यह संकेत करते हुए कि लोभ और अज्ञानता से निर्णय लेना खतरनाक हो सकता है। दूसरा भाग कबूतर, काग, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी का उल्लेख करता है, लेकिन इसका विवरण अधूरा है। इस भाग में भी मित्रता और सहयोग की भावना को दर्शाने की संभावना है। कुल मिलाकर, यह कहानी हमें यह समझाती है कि हमें निर्णय लेते समय सावधान रहना चाहिए और बिना सोचे-समझे काम नहीं करना चाहिए।
मित्रलाभ - संपूर्ण उपन्यास
MB (Official)
द्वारा
हिंदी लघुकथा
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विवरण
१. सुवर्णकंकणधारी बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी २. कबुतर, काग, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी ३. मृग, काग और धूर्त गीदड़ की कहानी ४. भैरव नामक शिकारी, मृग, शूकर और गीदड़ की कहानी ५. धूर्त गीदड़ और कर्पूरतिलक हाथी की कहानी
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