चोखेर बाली - 8 Rabindranath Tagore द्वारा उपन्यास प्रकरण में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें उपन्यास प्रकरण किताबें चोखेर बाली - 8 चोखेर बाली - 8 Rabindranath Tagore द्वारा हिंदी उपन्यास प्रकरण (55) 4.4k 17.6k शाम को महेन्द्र जब उस यमुना के तट पर जा बैठा, तो प्रेम के आवेश ने उसकी नज़रों में, साँसों में, नस-नस में, हड्डीयों के बीच गाड़े मोह रस का संचार कर दिया आसमान में डूबने सूरज की किरणों ...और पढ़ेसुनहरी वीणा वेदना की मूच्छना से झरती जोत के संगीत से झंकृत हो उठी! बारिश जैसा हो रहा था। नदी अपने उद्दाम यौवन में। महेन्द्र के पास निर्दिष्ट कुछ नहीं था। उसे वैष्णव कवियों का वर्षाभिसार याद आया। नायिका बाहर निकली है यमुना के किनारे वह अकेली खड़ी है। उस पार कैसे जाए? अरे ओ, पार करो, पार कर दो। महेन्द्र की छाती के अन्दर यही पुकार पहुँचने लगी- 'पार करो'। कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें चोखेर बाली - 8 चोखेर बाली - उपन्यास Rabindranath Tagore द्वारा हिंदी - उपन्यास प्रकरण (347) 80.9k 187.7k Free Novels by Rabindranath Tagore अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Rabindranath Tagore फॉलो