"देहाती समाज" में, शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने गाँव के एकमात्र दुकानदार मधुपाल की कहानी प्रस्तुत की है। वह अपनी दुकान पर उधारी के पैसे चुकाने के लिए रमेश का इंतजार करता है, जो कि गाँव के अन्य लोगों की तरह उधारी चुकाने में असफल है। मधुपाल की दुकान के बारे में बताया गया है कि लोग उधार लेकर लौटाने में अनिच्छुक हैं, जिससे उसकी दुकान चलाना मुश्किल हो गया है। कहानी में बनर्जी महाशय की भी एंट्री होती है, जो मछलियों के साथ आते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं। वह एक कहारिन के बारे में बात करते हैं, जिसने उन्हें एक पैसे की मछली के लिए हाथ पकड़ लिया। वह इस घटना से गुस्से में हैं और इसे गाँव के बदलते समय का उदाहरण मानते हैं। कुल मिलाकर, यह कहानी गाँव के देहाती जीवन, उधारी की संस्कृति, और सामाजिक संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती है। देहाती समाज - 5 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 8.4k 3.6k Downloads 11.2k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण केवल मधुपाल की ही एक दुकान है, इस पूरे गाँव में। जिस रास्ते से नदी की तरफ जाते हैं, उसी पर बाजार के पास पड़ती है। रमेश से अपने बाकी दस रुपए लेने वह दस-बारह दिन तक नहीं आया, तब रमेश स्वयं ही उसकी दुकान पर सवेरे-ही-सवेरे पहुँचा। मधुपाल ने बड़ी आवभगत के साथ उनके बैठने को एक मूढ़ा दिया। उसकी इतनी उमर बीत गई थी - सपने में भी उसने कभी किसी को, उधार रुपया अपनी दुकान पर आ कर चुकाते नहीं देखा था। बल्कि हजार बार माँगने पर भी लोग टाल बताते हैं। रमेश बाकी रुपया देने आया है, सुन कर वह दंग रह गया। बातों-ही-बातों में उसने कहा - 'भैया, यहाँ तो लोग उधार लेकर देना नहीं जानते। यही दो-दो आने, चार-चार आने करके पचास-साठ लोगों पर चाहिए। किसी-किसी पर तो रुपया-डेढ़ रुपया तक हो गया है, पर देने के नाम पर कोई मसकते भी नहीं। तो भला आप ही बताइए - यह दुकान कैसे चल सकती है! सौदा लेते समय कह जाते हैं - 'अभी भिजवाया!' और उसके बाद, दो-दो महीने तक उनकी धूल का भी पता नहीं...बनर्जी हैं क्या? प्रणाम! कब आना हुआ आपका?' Novels देहाती समाज बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू के घर में पैर रखा ही था कि उन्हें एक स्त्री दीख पड़ी, पूजा में निमग्न। उसकी आयु थी, यही आधी के करीब। वेणी बाबू ने उन्ह... More Likes This Operation Mirror - 3 द्वारा bhagwat singh naruka DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी