"देहाती समाज" में, शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने दो मित्रों, बलराम मुखर्जी और बलराम घोषाल, की कहानी प्रस्तुत की है जो विक्रमपुर से कुआँपुर में बसते हैं। मुखर्जी बाबू प्रतिष्ठित और सफल हैं, जबकि घोषाल बाबू का जीवन संघर्ष में बीतता है। दोनों के बीच विवाह के मुद्दे पर विवाद होता है, जिससे उनका संबंध बीस वर्षों तक टूट जाता है। मुखर्जी की मृत्यु के बाद, यह पता चलता है कि उन्होंने अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा अपने पुत्र और आधा हिस्सा अपने मित्र के पुत्र को दिया है। इस घटना से दोनों परिवारों के बीच संबंधों में एक नया मोड़ आता है। तारिणी घोषाल, जो छोटी शाखा से हैं, की अचानक मृत्यु से परिवार में हलचल मच जाती है। उनके चाचा वेणी ने उनके श्राद्ध में गड़बड़ी करने की योजना बनाई है। यह कहानी परिवार, संबंधों, और सामाजिक मानदंडों पर प्रकाश डालती है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर जटिलताओं को दर्शाती है। देहाती समाज - 2 Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 7.8k 4.6k Downloads 10.5k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सौ वर्ष पूर्व, बाबू बलराम मुखर्जी तथा बलराम घोषाल विक्रमपुर गाँव से साथ-साथ आ कर कुआँपुर में आ बसे थे। संयोग की बात थी दोनों अभिन्न मित्र भी थे और दोनों का नाम भी एक ही था। मुखर्जी बाबू बुद्धिमान और प्रतिष्ठित कुल के थे। उन्होंने अच्छे घर में शादी करके और सौभाग्य से अच्छी नौकरी भी पा कर यह संपत्ति बनाई थी। शादी-ब्याह व गृहस्थी का जीवन तो घोषाल बाबू का भी बीता था पर वे आगे ने बढ़ सके। कष्ट में ही उनका सारा जीवन बीत गया। उनके ब्याह के मसले पर ही दोनों में कुछ मनमुटाव हो गया था और उसने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया कि उस दिन के बाद से पूरे बीस वर्ष तक वे जिंदा रहे, पर एक ने भी किसी का मुँह नहीं देखा। जिस दिन बलराम मुखर्जी का स्वर्गवास हुआ, उस दिन भी घोषाल बाबू उनके घर नहीं गए। पर उनकी मृत्यु के दूसरे दिन ही, एक अत्यंत विस्मयजनक समाचा सुन पड़ा कि वे मरते समय अपनी संपत्ति का आधा भाग अपने पुत्र को और आधा अपने मित्र के पुत्र को दे गए हैं। Novels देहाती समाज बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू के घर में पैर रखा ही था कि उन्हें एक स्त्री दीख पड़ी, पूजा में निमग्न। उसकी आयु थी, यही आधी के करीब। वेणी बाबू ने उन्ह... More Likes This क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 1 द्वारा Naina Khan हम तुम्हें चाहते हैं इतना - 1 द्वारा S Sinha पारस पत्थर की रहस्यमयी खोज - भाग 1 द्वारा Krishna Prajapati Froyo Flat - 2 द्वारा Naina Khan जेमस्टोन - भाग 1 द्वारा mayur dagade अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी