ठाकुरदास मुखर्जी की पत्नी की मृत्यु के बाद, उनके परिवार ने धूमधाम से शव-यात्रा निकाली। गांववाले एकत्रित हुए, और शोक के स्थान पर यह एक उत्सव जैसा महसूस हुआ। मुखोपाध्याय महाशय ने अपनी पत्नी को अंतिम विदा देकर अन्य सदस्यों को सांत्वना दी। इस बीच, कंगाली की मां, जो अपनी झोंपड़ी में बैंगन तोड़ने जा रही थी, शव-यात्रा को देखकर श्मशान पहुंच गई। उसने चिता पर रखे गए शव के रंगे हुए पांवों को देखकर अपनी इच्छा व्यक्त की कि वह भी स्वर्ग जाने वाली सौभाग्यवती मां से आशीर्वाद प्राप्त करे ताकि उसे भी अग्नि प्राप्ति का सौभाग्य मिले। कंगाली की मां का यह भावनात्मक अनुभव उसके जीवन की कठिनाइयों और आकांक्षाओं को दर्शाता है। अभागी Sarat Chandra Chattopadhyay द्वारा हिंदी लघुकथा 9.1k 3.1k Downloads 13.6k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सात दिनों तक ज्वरग्रस्त रहने के बाद ठाकुरदास मुखर्जी की वृद्धा पत्नी की मृत्यु हो गई। मुखोपाध्याय महाशय अपने धान के व्यापार से काफी समृद्ध थे। उन्हें चार पुत्र, चार पुत्रियां और पुत्र-पुत्रियों के भी बच्चे, दामाद, पड़ोसियों का समूह, नौकर-चाकर थे-मानो यहां कोई उत्सव हो रहा हो। More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी