यह कहानी रेडियो के महत्व और इतिहास के बारे में है। रेडियो, जो टीवी प्रसारण से पहले हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, ने भारतीय स्वतंत्रता के समय से लेकर विभिन्न घटनाओं को साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 15 अगस्त 1947 को, जब भारत आज़ाद हुआ, लाखों लोग रेडियो के माध्यम से पंडित नेहरू का भाषण सुन रहे थे। रेडियो ने क्रिकेट, समाचार, संगीत आदि के माध्यम से लोगों को जोड़ा और सभी वर्गों के लिए सूचना और मनोरंजन का सस्ता साधन बना। रेडियो का इतिहास 1900 में इंग्लैंड से अमरीका के बीच पहले बेतार संदेश के साथ शुरू हुआ, और 1906 में पहली बार ब्रॉडकास्टिंग करने का कार्य हुआ। भारत में रेडियो की शुरुआत 1924 में हुई, लेकिन इसे आर्थिक कारणों से बंद करना पड़ा। फिर 1932 में भारतीय सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया और 1936 में इसे 'ऑल इंडिया रेडियो' नाम दिया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, रेडियो लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने का आदेश दिया गया। इस प्रकार, रेडियो ने समय के साथ अपने सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे। यह आकाशवाणी है Ashish Kumar Trivedi द्वारा हिंदी पत्रिका 3 2.1k Downloads 5.8k Views Writen by Ashish Kumar Trivedi Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण क्रिकेट की कमेंट्री, समाचार, गोष्ठियां, संगीत सब कुछ हम तक रेडियो के माध्यम से ही पहुँचा। एक लंबे समय तक सूचनाओं के प्रसारण का सबसे अच्छा साधन रेडियो ही था। रेडियो देश के लोगों को एक सूत्र में बांधे रखने में सफल था रेडियो की पहुँच अमीर गरीब, पढ़े लिखे तथा अनपढ़, ग्रामीण एवं शहरी सभी तक है। यह लोगों तक सूचना तथा मनोरंजन पहुँचाने का सस्ता साधन है। रेडियो जनसाधारण के लिए एक सस्ता साधन है। टीवी व इंटरनेट की तरह इसके लिए आपको अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती। कोई भी एक ट्रांजिस्टर खरीद कर रेडियो के कार्यक्रम सुन सकता है। रेडियो के जानकार मानते हैं कि भारत में अभी रेडियो का बहुत प्रसार करना बाकी है। रेडियो के विकास की जितनी संभावना है उसका दस प्रतिशत भी अभी नहीं हो पाया है। विकसित राष्ट्रों की तुलना में भारत जैसे विशाल देश में चैनलों की वर्तमान संख्या बहुत ही कम है। इंटरनेट रेडियो जैसी तकनीक का उपयोग अभी तक काफी सीमित है। सरकार को चाहिए कि रेडियो के प्रचार प्रसार पर ध्यान दे ताकि रेडियो प्रसार के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर सके। More Likes This जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी