कहानी "हदे निगाह तक" में सुदर्शन वशिष्ठ ने एक यात्रा का वर्णन किया है, जिसमें मुख्य पात्र विवेक एक सुरंग के माध्यम से ट्रेन में यात्रा करता है। ट्रेन की धड़धड़ाहट और अंधेरे से गुजरते हुए विवेक के मन में भय और संकोच का अहसास होता है। सुरंग में प्रवेश करते ही सब कुछ शांत हो जाता है, लेकिन विवेक को अंधेरे में चलने में कठिनाई होती है। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, जहां उसे एक रोशनी का गोला दिखाई देता है। जैसे-जैसे वह उस रोशनी के करीब पहुँचता है, उसका भय कम होता जाता है और अंततः सुरंग में उजाला आने लगता है। कहानी में अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ने की यात्रा को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है, जो एक मानसिक और भावनात्मक बदलाव का संकेत देती है। हदे निगाह तक Sudarshan Vashishth द्वारा हिंदी लघुकथा 520 2.2k Downloads 5.9k Views Writen by Sudarshan Vashishth Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Hade Nigah Tak More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli Trupti - 1 द्वारा sach tar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी