यह कहानी "नेत्र दान" सुदर्शन वशिष्ठ द्वारा लिखी गई है। कहानी में एक पुरोहित अपने जीवन में नेत्रदान करने का विचार करता है, जब वह अखबार में एक प्रसिद्ध व्यक्ति वीरविक्रमप्रताप सिंह के नेत्रदान की खबर पढ़ता है। पुरोहित अपनी आंखों के दान के बारे में सोचता है और अपनी पत्नी तथा मित्रों से इस बारे में चर्चा करता है, लेकिन उसे निराशा का सामना करना पड़ता है। उसकी पत्नी और मित्र उसे मजाक में लेते हैं, जिससे वह हताश हो जाता है। वह गांव लौटता है और अपने पिता से आंखों के दान की इच्छा व्यक्त करता है, लेकिन उसके पिता उसे पागल समझते हैं और उसकी बात का मजाक उड़ाते हैं। कहानी में पुरोहित की अंतर्दृष्टि और समाज की सोच को दर्शाया गया है कि मानव जीवन की मूल्यांकन किस प्रकार होता है, विशेषकर मृत्यु के बाद। यह एक गहरी सोच और संवेदनशीलता को उजागर करती है। नेत्र दान Sudarshan Vashishth द्वारा हिंदी लघुकथा 563 2k Downloads 11.1k Views Writen by Sudarshan Vashishth Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Netra Daan More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी