कहानी "देवता नहीं है" में देऊ पड़ासर की चिंता और आक्रोश को दर्शाया गया है। वह अपनी बेटी की मौत के बाद गहरे दुख में है और उसकी चीख से उसकी बेबसी का पता चलता है। देवता का रथ जब तेज़ी से निकलता है, तो ग्रामीणों में आशंका और प्रश्न उठते हैं। देवता का रथ सजाने के लिए प्रांगण में तैयार किया गया था, जो देवता के आगमन का प्रतीक है। फागुन में देवता स्वर्ग से लौटते हैं और अपने पराक्रम के किस्से सुनाते हैं, साथ ही भविष्यवाणियां करते हैं। ग्रामीण अपने समस्याओं के समाधान के लिए देवता से मिलने मेले में आते हैं। यह कहानी धार्मिक आस्था और मानव जीवन की जटिलताओं को दर्शाती है। देवता नहीं है Sudarshan Vashishth द्वारा हिंदी लघुकथा 1.2k Downloads 4.2k Views Writen by Sudarshan Vashishth Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Devta Nahin Hain More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी