Shok Ka Purskar book and story is written by Munshi Premchand in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shok Ka Purskar is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. शोक का पुरस्कार Munshi Premchand द्वारा हिंदी लघुकथा 964 Downloads 6.6k Views Writen by Munshi Premchand Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सबेरे उठ कर क्या देखता हूँ तो बाबू निरंजनदास मेरे सामने एक कुर्सी पर बैठे हैं निरंजनदास के हाथ में एक डायरी थी जिसे वह बड़े ध्यानपूर्वक देख रहे थे और शायद पढ़ भी रहे थे उन्हें देख कर ही मैं बड़े चाव से उनसे लिपट गया पर अफ़सोस अब उस दैवी स्वभाव वाले नौजवान की सूरत देखना मेरे नसीब में न होगा अचानक हुई मौत से उन्हें हमसे सदा के लिये अलग कर दिया वे कुमुदिनी के सगे भाई थे और मुझसे सिर्फ चार साल ही बड़े थे, ऊँचे पद पर नियुक्त थे और कुछही दिनों पहेले इस शहर में उनका तबादला हुआ था, मैंने उनसे पूछा... More Likes This True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS पाठशाला द्वारा Kishore Sharma Saraswat डिप्रेशन - भाग 1 द्वारा Neeta Batham मोहब्बत - पार्ट 1 द्वारा mohammad sadique सनातन - 2 द्वारा अशोक असफल वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती द्वारा R B Chavda अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी