गिरीश पंकज एक प्रमुख हिंदी व्यंग्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उन्होंने अपनी व्यंग्य रचनाओं को ई-बुक के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने की पहल की है, जिससे उनकी रचनाएँ नेट फ्रेंडली दुनिया में भी पहुँचेंगी। पंकज का मानना है कि व्यंग्य समाज में विसंगतियों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जिसका उद्देश्य दुनिया को बेहतर बनाना है। उनकी रचनाएँ मौलिक हैं और वे व्यंग्य की परंपरा को अपने अनोखे अंदाज़ में आगे बढ़ा रहे हैं। पंकज के पास सात उपन्यास और चौदह व्यंग्य संग्रह हैं, जो उनकी निरंतर वैचारिक लड़ाई का प्रमाण हैं। उनकी नई ई-पुस्तक "पंगा मत ले" में पंद्रह व्यंग्य रचनाएँ शामिल हैं, जो पाठकों को उनके लेखन की ओर आकर्षित करेंगी। कहानी में एक अन्य साहित्यकार की भी चर्चा है, जो अपने साहित्य के प्रति असंतोष व्यक्त कर रहा है और यह दर्शाता है कि कुछ साहित्यकारों को भी पहचान नहीं मिल रही है। इस प्रकार, गिरीश पंकज अपने लेखन के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं। Supari Denevala Sahityakar Girish Pankaj द्वारा हिंदी लघुकथा 2.1k 1.9k Downloads 7.9k Views Writen by Girish Pankaj Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण व्यंग्य रचना More Likes This रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी