इस कहानी में नैतिकता एक दुखी और शर्मिंदा पात्र के रूप में प्रस्तुत की गई है। नैतिकता उन नेताओं के हाथों में खेल रही है जो खुद अनैतिक हैं और दूसरों पर नैतिकता की बातें थोपते हैं। नैतिकता गांधी जी की मूर्ति के नीचे बैठकर अपने आंसू बहाती है, दुखी है कि वह नैतिक लोगों से दूर और अनैतिक लोगों के बीच फंस गई है। नेताओं की अनैतिकता के उदाहरण देते हुए, वह बताती है कि कैसे ये नेता खुद को नैतिक साबित करने की कोशिश करते हैं, जबकि उनके कार्य पूरी तरह से अनैतिक हैं। नैतिकता का यह विलाप दर्शाता है कि समाज में नैतिकता की स्थिति कितनी दयनीय है। अंत में, नैतिकता की परिस्थिति पर तरस खाकर लेखक आगे बढ़ जाता है। बेचारी नैतिकता... Girish Pankaj द्वारा हिंदी लघुकथा 2.1k 1.6k Downloads 6.5k Views Writen by Girish Pankaj Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Bechari Naitikta... More Likes This अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी